खबर सुनें खबर शाहजहांपुर। बाबा वनखंडी नाथ और चोकसी नाथ मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। दोनों मंदिरों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। इन दोनों मंदिरों का इतिहास बहुत पुराना है। शहर के घंटाघर रोड स्थित बाबा वनखंडी नाथ मंदिर के स्थान पर कभी जंगल हुआ करता था। वनखंडी नाथ मंदिर के पुजारी अमित व्यास ने बताया कि एक बार कुछ संत और संत यहां विश्राम करने के लिए रुके थे। उनमें से एक ने उस स्थान पर एक शिव मंदिर बनाने का सपना देखा था। जब जंगल साफ किया जा रहा था तो कुदाल शिवलिंग को जमीन में जा लगी। इससे शिवलिंग टूट गया और निशान रह गया। इसे हम बाबा वनखंडी नाथ के नाम से जानते हैं। मंदिर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना 16 मार्च 1950 को हुई थी। इसमें शहर के सेठ लाला विशनचंद के परिवार का विशेष योगदान था। वहीं सेठ शिवप्रसाद ने एक घर खरीदकर मंदिर को दान कर दिया। 1971 में, मंदिर में भगवान शिव-पार्वती परिवार की मूर्तियां स्थापित की गईं। मंदिर परिसर में गौशाला भी है। वहीं चौक स्थित बाबा चोकसी नाथ मंदिर का नाम सुखलाल चौकसी के नाम पर रखा गया है। चोकसी नाथ मंदिर के पुजारी विजय गिरी ने बताया कि सुखलाल चोकसी 28 जुलाई 1882 को कन्नौज से एक मुकदमे के सिलसिले में शहर आया था. कहा जाता है कि यह जगह उन्हें रहने के लिए दी गई थी। जब उन्होंने यहां सफाई कराई तो फावड़ा एक मूर्ति से टकरा गया। 10-12 फीट की खुदाई के बाद भी मूर्ति का सिरा नहीं मिला। इसके साथ ही एक अन्य मूर्ति और एक चट्टान भी मिली, लेकिन उसका सिरा भी नहीं मिला। बाद में इस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना की गई। यहां दो शिवलिंग आपस में गुंथे हुए हैं। इस परिसर में प्रसिद्ध फूलमती माता का मंदिर भी है। फूलमती कन्नौज के दरबार की देवी थीं। मंदिर की स्थापना का श्रेय सुखलाल चौकसी को ही दिया जाता है। जो पैदल ही कन्नौज से मंदिर का शिलान्यास लेकर आए थे। प्रत्येक अमावस्या को मंदिर परिसर में मेला लगता है। इस स्थान पर भगवान राधारमण का मंदिर भी है। शाहजहांपुर का बाबा बनखंडी नाथ मंदिर। संवाद – फोटो: शाहजहांपुर शाहजहांपुर। बाबा वनखंडी नाथ और चोकसी नाथ मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। दोनों मंदिरों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। इन दोनों मंदिरों का इतिहास बहुत पुराना है। शहर के घंटाघर रोड स्थित बाबा वनखंडी नाथ मंदिर के स्थान पर कभी जंगल हुआ करता था। वनखंडी नाथ मंदिर के पुजारी अमित व्यास ने बताया कि एक बार कुछ संत और संत यहां विश्राम करने के लिए रुके थे। उनमें से एक ने उस स्थान पर एक शिव मंदिर बनाने का सपना देखा था। जब जंगल साफ किया जा रहा था तो कुदाल शिवलिंग को जमीन में जा लगी। इससे शिवलिंग टूट गया और निशान रह गया। इसे हम बाबा वनखंडी नाथ के नाम से जानते हैं। मंदिर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना 16 मार्च 1950 को हुई थी। इसमें शहर के सेठ लाला विशनचंद के परिवार का विशेष योगदान था। वहीं सेठ शिवप्रसाद ने एक घर खरीदकर मंदिर को दान कर दिया। 1971 में, मंदिर में भगवान शिव-पार्वती परिवार की मूर्तियां स्थापित की गईं। मंदिर परिसर में गौशाला भी है। वहीं चौक स्थित बाबा चोकसी नाथ मंदिर का नाम सुखलाल चौकसी के नाम पर रखा गया है। चोकसी नाथ मंदिर के पुजारी विजय गिरी ने बताया कि सुखलाल चोकसी 28 जुलाई 1882 को कन्नौज से एक मुकदमे के सिलसिले में शहर आया था. कहा जाता है कि यह जगह उन्हें रहने के लिए दी गई थी। जब उन्होंने यहां सफाई कराई तो फावड़ा एक मूर्ति से टकरा गया। 10-12 फीट की खुदाई के बाद भी मूर्ति का सिरा नहीं मिला। इसके साथ ही एक अन्य मूर्ति और एक चट्टान भी मिली, लेकिन उसका सिरा नहीं मिला। बाद में इस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना की गई। यहां दो शिवलिंग आपस में गुंथे हुए हैं। इस परिसर में प्रसिद्ध फूलमती माता का मंदिर भी है। फूलमती कन्नौज के दरबार की देवी थीं। मंदिर की स्थापना का श्रेय सुखलाल चौकसी को ही दिया जाता है। जो पैदल ही कन्नौज से मंदिर का शिलान्यास लेकर आए थे। प्रत्येक अमावस्या को मंदिर परिसर में मेला लगता है। इस स्थान पर भगवान राधारमण का मंदिर भी है। शाहजहांपुर का बाबा बनखंडी नाथ मंदिर। संवाद – फोटोः शाहजहांपुर।
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