
समाचार सुनें समाचार सुनें ताराजीवनपुर। क्षेत्र के माटीगांव स्थित शिव मंदिर परिसर में चल रही खुदाई में शनिवार को कुषाण काल के मंदिर की दीवार के अवशेष मिले। खुदाई के दौरान मंदिर के बड़े प्रांगण की रूपरेखा स्पष्ट हुई। इससे उत्खननकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया। शनिवार को की गई खुदाई में, मंदिर के प्रवेश द्वार के पूर्व की ओर एक और प्रवेश द्वार जैसी संरचना मिली, जिसमें गोलाकार गर्भगृह है, जो पहले की खुदाई से प्राप्त हुआ था। यह एक मंदिर जैसा दिखता है जिसमें एक और गोलाकार गर्भगृह है। खुदाई से मंदिर के बड़े प्रांगण की रूपरेखा का पता चला है। मंदिर प्रांगण की बाहरी दीवार, जिसकी लंबाई चार मीटर और चौड़ाई लगभग 80 सेंटीमीटर है। पूर्व में उत्खनित वृत्ताकार गर्भगृह मंदिर के पश्चिम में मिली दीवार के समानांतर है। दोनों दीवारों के बीच की दूरी लगभग 4.6 मीटर है। बता दें कि पूर्व में खुदाई से प्राप्त पंचायतन प्रकार का मंदिर दो गोलाकार गर्भगृहों वाले मंदिरों के बीच स्थित है। खाई के दक्षिण-पूर्वी कोने पर खुदाई के दौरान कुषाण-गुप्त और उत्तर-गुप्त के लाल बर्तन मिले हैं, एक और दीवार जो पूर्व की ओर जाती हुई प्रतीत होती है। इसके अलावा एक टेराकोटा डिस्क भी मिली है। उत्खनन निदेशक डॉ. विनय कुमार ने कहा कि उत्खनन से और भी प्राचीन निर्माण प्राप्त होने की संभावना है। अब तक की खुदाई में मिली संरचना से मटीगांव का इतिहास 22 सौ साल पहले का लिया जा सकता है। परमदीप पटेल और राघव साहनी। ताराजीवनपुर। क्षेत्र के माटीगांव स्थित शिव मंदिर परिसर में चल रही खुदाई में शनिवार को कुषाण काल के मंदिर की दीवार के अवशेष मिले। खुदाई के दौरान मंदिर के बड़े प्रांगण की रूपरेखा स्पष्ट हुई। इससे उत्खननकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया। शनिवार को की गई खुदाई में, मंदिर के प्रवेश द्वार के पूर्व की ओर एक और प्रवेश द्वार जैसी संरचना मिली, जिसमें गोलाकार गर्भगृह है, जो पहले की खुदाई से प्राप्त हुआ था। यह एक मंदिर जैसा दिखता है जिसमें एक और गोलाकार गर्भगृह है। खुदाई से मंदिर के बड़े प्रांगण की रूपरेखा का पता चला है। मंदिर प्रांगण की बाहरी दीवार, जिसकी लंबाई चार मीटर और चौड़ाई लगभग 80 सेंटीमीटर है। पूर्व में उत्खनित वृत्ताकार गर्भगृह मंदिर के पश्चिम में मिली दीवार के समानांतर है। दोनों दीवारों के बीच की दूरी लगभग 4.6 मीटर है। बता दें कि पूर्व में खुदाई से प्राप्त पंचायतन प्रकार का मंदिर दो गोलाकार गर्भगृहों वाले मंदिरों के बीच स्थित है। खाई के दक्षिण-पूर्वी कोने पर खुदाई के दौरान कुषाण-गुप्त और उत्तर-गुप्त के लाल बर्तन मिले हैं, एक और दीवार जो पूर्व की ओर जाती हुई प्रतीत होती है। इसके अलावा एक टेराकोटा डिस्क भी मिली है। उत्खनन निदेशक डॉ. विनय कुमार ने कहा कि उत्खनन से और भी प्राचीन निर्माण प्राप्त होने की संभावना है। अब तक की खुदाई में मिली संरचना से मटीगांव का इतिहास 22 सौ साल पहले का लिया जा सकता है। परमदीप पटेल और राघव साहनी। ,
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