
बक्सर में आज चढ़ेगा लिट्टी-चोखा का प्रसाद
द्वारा: Inextlive दिनांक अद्यतन: Wed, Nov 16 2022 11:07:41 PM (IST)
पंचकोशी यात्रा के अंत में लगेगा अनोखा मेला, घर-घर बनेंगे भोजपुरी व्यंजन, खुशबू बिखेरने बाजार में उतरेंगे करीब दस लाख गोबर के उपले
पटना (कार्यालय)। पांच दिवसीय पंचकोशी यात्रा गुरुवार को चरित्रवन पहुंचेगी और इस अवसर पर श्रद्धालु परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को लिट्टी-चोखा का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. स्थानीय लोग इसे लिट्टी-चोखा महोत्सव के नाम से भी जानते हैं। महोत्सव में शामिल होने के लिए मंगलवार रात से ही उत्तर प्रदेश के अन्य शाहाबाद जिलों व भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का बक्सर आना शुरू हो गया था. वहीं दूसरी ओर सर्द पछुआ हवाओं से मौसम भी सुहाना हो गया है। लोगों का यह भी मानना है कि लिट्टी-चोखा की तासीर गर्म होती है। हर साल अगहन शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को लगने वाला लिट्टी-चोखा मेला कई मायनों में खास होता है।
चरित्रवन में अंतिम पड़ाव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर पहुंचे तो उन्होंने यज्ञ में बाधा डालने के लिए ताड़का और सुबाहु का वध कर दिया। इसके बाद वे सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने गए। उन्होंने जिन पांच स्थानों का दौरा किया और ऋषियों ने उन्हें रात्रि विश्राम के दौरान भोजन दिया, वे व्यंजन पंचकोशी यात्रा के दौरान भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं, जो भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इनमें पहला पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरा पड़ाव नादौन में खिचड़ी, तीसरा पड़ाव भभुआर में चूड़ा-दही, चौथा पड़ाव नुआन में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा है।
भक्तों का आना शुरू हो गया
बुधवार को यात्रा के चौथे दिन साधु-संतों ने बरका नुआंव में डेरा डाला और आज यात्रा गुरुवार तड़के बक्सर शहर पहुंचेगी. इस दिन घर-घर में लिट्टी चोखा बनाया जाता है और भक्त रास्ते से लेकर जमीन तक लिट्टी को ऊपर से सेंकते नजर आते हैं। इस बार भी एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। जगह-जगह आलू, बैंगन, धनिया, मिर्च, नमक आदि की दुकानें लग गई हैं। चोखा और आटा, सत्तू, आदि के लिए लिट्टी के लिए।
उपले करीब एक करोड़ रुपए में बिकेगा
इसके लिए उद्यमियों ने मेला मैदान में ही लिट्टी की लौ जलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर के उपले (गोइठा) भी उपलब्ध करा दिए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रत्येक व्यापारी करीब 80 हजार से डेढ़ लाख कंडे गाय का गोबर लेकर आए हैं। किला मैदान में डेढ़ दर्जन से दो दर्जन दुकानें ही हैं। जबकि चरित्रवन के अन्य इलाकों से भी इसकी बिक्री होती है। व्यवसायी बल्ली चौधरी, केसन चौधरी, मल्लाह टोली की गिरजा देवी आदि। उनका कहना है कि लगभग हर साल 40-50 लाख उपलों का आयात होता था। लेकिन हर साल मेले में भीड़ बढ़ जाती है। इस बार पंचकोशी मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक है। इस वजह से इस बार गोइठा की आवक दोगुनी यानी करीब एक करोड़ रुपए हो गई है। कीमत के संबंध में बताया गया कि पांच उपले दस रुपये फुटकर में और आठ उपले बीस रुपये बड़े में बिकते हैं।
द्वारा: Inextlive दिनांक अद्यतन: Wed, Nov 16 2022 11:07:41 PM (IST)
पंचकोशी यात्रा के अंत में लगेगा अनोखा मेला, घर-घर बनेंगे भोजपुरी व्यंजन, खुशबू बिखेरने बाजार में उतरेंगे करीब दस लाख गोबर के उपले
पटना (कार्यालय)। पांच दिवसीय पंचकोशी यात्रा गुरुवार को चरित्रवन पहुंचेगी और इस अवसर पर श्रद्धालु परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को लिट्टी-चोखा का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. स्थानीय लोग इसे लिट्टी-चोखा महोत्सव के नाम से भी जानते हैं। महोत्सव में शामिल होने के लिए मंगलवार रात से ही उत्तर प्रदेश के अन्य शाहाबाद जिलों व भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का बक्सर आना शुरू हो गया था. वहीं दूसरी ओर सर्द पछुआ हवाओं से मौसम भी सुहाना हो गया है। लोगों का यह भी मानना है कि लिट्टी-चोखा की तासीर गर्म होती है। हर साल अगहन शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को लगने वाला लिट्टी-चोखा मेला कई मायनों में खास होता है।
चरित्रवन में अंतिम पड़ाव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर पहुंचे तो उन्होंने यज्ञ में बाधा डालने के लिए ताड़का और सुबाहु का वध कर दिया। इसके बाद वे सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने गए। उन्होंने जिन पांच स्थानों का दौरा किया और ऋषियों ने उन्हें रात्रि विश्राम के दौरान भोजन दिया, वे व्यंजन पंचकोशी यात्रा के दौरान भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं, जो भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इनमें पहला पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरा पड़ाव नादौन में खिचड़ी, तीसरा पड़ाव भभुआर में चूड़ा-दही, चौथा पड़ाव नुआन में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा है।
भक्तों का आना शुरू हो गया
बुधवार को यात्रा के चौथे दिन साधु-संतों ने बरका नुआंव में डेरा डाला और आज यात्रा गुरुवार तड़के बक्सर शहर पहुंचेगी. इस दिन घर-घर में लिट्टी चोखा बनाया जाता है और भक्त रास्ते से लेकर जमीन तक लिट्टी को ऊपर से सेंकते नजर आते हैं। इस बार भी एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। जगह-जगह आलू, बैंगन, धनिया, मिर्च, नमक आदि की दुकानें लग गई हैं। चोखा और आटा, सत्तू, आदि के लिए लिट्टी के लिए।
उपले करीब एक करोड़ रुपए में बिकेगा
इसके लिए उद्यमियों ने मेला मैदान में ही लिट्टी की लौ जलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर के उपले (गोइठा) भी उपलब्ध करा दिए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रत्येक व्यापारी करीब 80 हजार से डेढ़ लाख कंडे गाय का गोबर लेकर आए हैं। किला मैदान में डेढ़ दर्जन से दो दर्जन दुकानें ही हैं। जबकि चरित्रवन के अन्य इलाकों से भी इसकी बिक्री होती है। व्यवसायी बल्ली चौधरी, केसन चौधरी, मल्लाह टोली की गिरजा देवी आदि। उनका कहना है कि लगभग हर साल 40-50 लाख उपलों का आयात होता था। लेकिन हर साल मेले में भीड़ बढ़ जाती है। इस बार पंचकोशी मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक है। इस वजह से इस बार गोइठा की आवक दोगुनी यानी करीब एक करोड़ रुपए हो गई है। कीमत के संबंध में बताया गया कि पांच उपले दस रुपये फुटकर में और आठ उपले बीस रुपये बड़े में बिकते हैं।
द्वारा: Inextlive दिनांक अद्यतन: Wed, Nov 16 2022 11:07:41 PM (IST)
पटना (कार्यालय)। पांच दिवसीय पंचकोशी यात्रा गुरुवार को चरित्रवन पहुंचेगी और इस अवसर पर श्रद्धालु परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम को लिट्टी-चोखा का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. स्थानीय लोग इसे लिट्टी-चोखा महोत्सव के नाम से भी जानते हैं। महोत्सव में शामिल होने के लिए मंगलवार रात से ही उत्तर प्रदेश के अन्य शाहाबाद जिलों व भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का बक्सर आना शुरू हो गया था. वहीं दूसरी ओर सर्द पछुआ हवाओं से मौसम भी सुहाना हो गया है। लोगों का यह भी मानना है कि लिट्टी-चोखा की तासीर गर्म होती है। हर साल अगहन शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को लगने वाला लिट्टी-चोखा मेला कई मायनों में खास होता है।
चरित्रवन में अंतिम पड़ाव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर पहुंचे तो उन्होंने यज्ञ में बाधा डालने के लिए ताड़का और सुबाहु का वध कर दिया। इसके बाद वे सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने गए। उन्होंने जिन पांच स्थानों का दौरा किया और ऋषियों ने उन्हें रात्रि विश्राम के दौरान भोजन दिया, वे व्यंजन पंचकोशी यात्रा के दौरान भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं, जो भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इनमें पहला पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरा पड़ाव नादौन में खिचड़ी, तीसरा पड़ाव भभुआर में चूड़ा-दही, चौथा पड़ाव नुआन में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा है।
भक्तों का आना शुरू हो गया
बुधवार को यात्रा के चौथे दिन साधु-संतों ने बरका नुआंव में डेरा डाला और आज यात्रा गुरुवार तड़के बक्सर शहर पहुंचेगी. इस दिन घर-घर में लिट्टी चोखा बनाया जाता है और भक्त रास्ते से लेकर जमीन तक लिट्टी को ऊपर से सेंकते नजर आते हैं। इस बार भी एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। जगह-जगह आलू, बैंगन, धनिया, मिर्च, नमक आदि की दुकानें लग गई हैं। चोखा और आटा, सत्तू, आदि के लिए लिट्टी के लिए।
उपले करीब एक करोड़ रुपए में बिकेगा
इसके लिए उद्यमियों ने मेला मैदान में ही लिट्टी की लौ जलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर के उपले (गोइठा) भी उपलब्ध करा दिए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रत्येक व्यापारी करीब 80 हजार से डेढ़ लाख कंडे गाय का गोबर लेकर आए हैं। किला मैदान में डेढ़ दर्जन से दो दर्जन दुकानें ही हैं। जबकि चरित्रवन के अन्य इलाकों से भी इसकी बिक्री होती है। व्यवसायी बल्ली चौधरी, केसन चौधरी, मल्लाह टोली की गिरजा देवी आदि। उनका कहना है कि लगभग हर साल 40-50 लाख उपलों का आयात होता था। लेकिन हर साल मेले में भीड़ बढ़ जाती है। इस बार पंचकोशी मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक है। इस वजह से इस बार गोइठा की आवक दोगुनी यानी करीब एक करोड़ रुपए हो गई है। कीमत के संबंध में बताया गया कि पांच उपले दस रुपये फुटकर में और आठ उपले बीस रुपये बड़े में बिकते हैं।
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